मुझे बदलाव चाहिए
संजय श्रमण
मुझे बदलाव चाहिए
सुधार नहीं
सदियों से तुम्हारे
शास्त्रों, शस्त्रों और बहियों का बोझ
मेरी जर्जर देह ने ही उठाया है
बैलगाड़ी में जुते बीमार बैल...
जा रे खुदगर्ज
-संतोष पटेल
नहीं पड़ेगा फर्क हमें
तुम्हारे वाटर कैनन के बौछार का
क्योंकि हम भीतर से हैं पनगर
पानी से है विशेष दोस्ती हमें
पानी कीचड़ में...
मैं भारत का संविधान हूँ
-दीपशिखा इन्द्रा
दुनिया में जो पहचान बनी है
वो तेरी पहचान हूँ
मैं भारत का संविधान हूँ
जीने का अधिकार हूँ
पढ़ने लिखने का अधिकार...
प्रेम ही बगावत
-प्रज्ञाबाली
प्रेम में पड़ी स्त्री
क्या करती है
प्रेम करती है
यानी बगावत करती हैं?
प्रेम में पड़ी स्त्री
खानदान से
बगावत करती हैं?
वह...